तुम बिन मैं कहीं नहीं कान्हा तुम मेरे शीश का ताज हो तुम बिन मैं कहीं नहीं कान्हा तुम मेरे शीश का ताज हो
चाहत बस इतनी है मिलकर तेरे नैनों से बात करूँ चाहत बस इतनी है मिलकर तेरे नैनों से बात करूँ
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में
शीशे में शीशे में
क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों में याद उसकी सुख दुःख ... क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों मे...